( Tantra Kya hai? ) तंत्र क्या है?तंत्र मंत्र से जुड़ी जानकारी।जाने तंत्र के बारे सभी जानकारी:

tantra kya hai

तंत्र क्या है?

तंत्र भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का एक प्राचीन हिस्सा है, जो आत्मा, शक्ति, और ब्रह्मांडीय ऊर्जा को समझने और साधने की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य आत्मा और ब्रह्मांड के बीच संबंध स्थापित करना है। तंत्र का अर्थ है “तंत्रणा” या “विस्तार”। यह व्यक्ति को उसकी आंतरिक शक्तियों से परिचित कराता है और उसे जीवन की समस्याओं को सुलझाने में मदद करता है।

हिंदू धर्म में भगवान शिव जी को तंत्र का जनक माना जाता है। महादेव के मुख से निकले शब्द ही मंत्र बने जो अलग अलग तरीकों ओर यंत्रों से जुड़ी क्रिया कलापों से बन कर तंत्र कहलाता हैं।

(Tantra)तंत्र को उसके मार्ग और उद्देश्य के अनुसार विभिन्न स्थानों प्रकारों में बांटा गया है:

  1. शैव तंत्र – शिव जी की आराधना करने पर आधारित है। इसमें ध्यान के साथ साधना करना पड़ता है।
  2. शक्ति तंत्र – शक्ति तंत्र शक्ति की पूजा और उपासना पर आधारित है। इसमें मां काली ,दुर्गा और आदि शक्तियो की उपासना की जाती है। इसमें मंत्र और यंत्रों का प्रयोग भी किया जाता रहा है।
  3. वाम मार्ग तंत्र – यह मार्ग मानसिक और भौतिक सीमाओं को तोड़ने के लिए है। इसकी कुछ एक क्रियायें समाज के द्वारा वर्जित मानी जाती रही हैं।
  4. दक्षिण मार्ग तंत्र – यह एक सात्विक और सरल सा साधना मार्ग है। इसमें ध्यान,पूजा, और मंत्र जाप का महत्व बताया गया है।
  5. कौलाचार तंत्र है- इसमें आध्यात्मिक साधना और भौतिक साधनाओं का समन्वय होता हैं। यह तंत्र ज्ञान और शक्तियों के संतुलन पर आधारित है।

(Tantra ka upyog)तंत्र का उपयोग-

तन्त्र का अगर सही प्रकार से प्रयोग किया जाए तो। व्यक्ति आत्मज्ञान की प्राप्ति और मानसिक शक्तियों की प्राप्ति की जा सकती हैं।

इसके मुख्य उपयोग –

  1. मंत्र- यह तंत्र ध्वनि ऊर्जा के रूप में काम करता है। जो ध्यान को केंद्रित करने में मददगार साबित होता है।
  2. यंत्र- ये विशेष प्रकार की आकृतियां होती हैं। जो ऊर्जा शक्ति को अपनी तरफ आकर्षित और केंद्रित करती है।
  3. ध्यान और साधना – ब्रह्मांड और उसकी शक्तियों से और आत्मा से जुड़ने की प्रक्रिया आंतरिक शांति और मानसिक स्पष्टता भी प्रदान करती हैं।
  4. रोगों का निवारण – तांत्रिक और तंत्र की विधियां शारीरिक रोगों और मानसिक रोगों का निवारण करने में मददगार हो सकती हैं।
  5. सिद्धियों की प्राप्ति – तंत्र के माध्यम से हम गहन साधना करके विशेष सिद्धियों की प्राप्ति कर सकते हैं।

(Bhrantiyan Aur Tantra)भ्रांतियां जो तंत्र प्रति बनी हुई है-

  1. जादू-टोने से भ्रम – कई लोग तंत्र को काले जादू की विद्याओं से जोड़ कर देखते हैं। और कुछ लोग टोना टोटका को ही तंत्र समझ लेते हैं। जबकि यह पूरी तरह से अलग हे। तंत्र मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है। ना कि किसी को हानि और दुःख पहुंचाने का।
  2. तंत्र की समाज में गलत छबि- फिल्मों और कहानियों ने रोचक दिखाने के लिए तंत्र की समाज में गलत और ख़राब छवि प्रस्तुत की हैं। जो गलत है वास्तविक तंत्र जीवन में सकारत्मकता और ज्ञान का स्त्रोत माना जाता रहा है।

(Tantra Aur Vigyan) तन्त्र और विज्ञान-

तन्त्र का आधार ऊर्जा और उसके सही से उपयोग करने के ऊपर निर्भर करता हे,जो कि विज्ञान के नियमों के अनुरूप है:

  1. मंत्र और उनकी ध्वनि ऊर्जा- मंत्रों के जपने ओर तेज उच्चारण करने से जो आवाज़ (ध्वनि) की तरंगें व्यक्ति के चित्त पर प्रभाव डालती हैं ।
  2. यंत्रों की ज्यामिति- यंत्रों की आकृति ब्रह्मांड की ऊर्जा शक्तियों को अपनी और आकर्षित कर के केंद्रित करती हैं।

(Tantra Ka Udhesh) तंत्र का उद्देश्य:

तंत्र का मूल उद्देश्य आत्मा की शक्तियों को जागृत करना, और ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ सामंजस्य स्थापित करना है।

यह व्यक्तियों को आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनाता है।

(Tantra Ka Sahi Marga) तंत्र का सही मार्ग:

तंत्र को सही तरीके सें समझना जरूरी हे ।इसमें क्या हे कब हे और कैसे हे सब कुछ जानने के बाद ही प्रयोग करना चाहिए।

गलत तरीके से या गलत मनसा से किया हुआ प्रयोग ना केवल दूसरों को बल्कि स्वयं को भी हानि पहुंचा सकता है।

(Nishkarsh) निष्कर्ष :

तंत्र एक गूढ़ विद्या है जो सही मार्ग दर्शन में व्यक्ति को शारीरिक,मानसिक और आत्मिक उन्नति की ओर ले जा सकती है।

तंत्र केवल साधना और अनुशासन के माध्यम से सच्चा लाभ प्रदान कर सकता है। इसके सही ज्ञान और समझ के साथ जीवन में शामिल करना सकारत्मकता के साथ उपयोग में ला सकता है ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top