Ekadashi vrat kya hai : Ekadashi vrat ek pavitra Hindu vart he
एकादशी व्रत भगवान विष्णु की आराधना के लिए रखा जाता है।
यह चंद्र मास के हर पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाया जाता है।
एकादशी व्रत धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है ।
और इसे मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।
Ekadashi vrat kya hai:आइए, विस्तार से इसके इतिहास, महत्त्व, और सभी प्रकार की एकादशियों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
एकादशी व्रत का महत्व और उत्पत्ति: Ekadashi Vrat Kya Hai?
एकादशी व्रत की उत्पत्ति पुराणों में वर्णित है।
पद्म पुराण और विष्णु पुराण में एकादशी व्रत की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है।
मान्यता है कि यह व्रत पापों से मुक्ति, शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम है।
कहानी के अनुसार,
भगवान विष्णु ने पापों को नष्ट करने के लिए “एकादशी” नामक शक्ति को उत्पन्न किया।
यह दिन भगवान विष्णु को अर्पित है, और व्रती इस दिन उपवास करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
साल में कितनी बार आती है एकादशी: Saal me kitna bar aati hai ekadashi |
चंद्र वर्ष के अनुसार एक वर्ष में कुल 24 एकादशियाँ होती हैं।
जब अधिकमास (अधिमास) आता है, तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।
सभी एकादशियों के नाम और समय: Sabhi Ekadashiyo ke Naam Aur Samay
24 प्रमुख एकादशियाँ:
1. चैत्र मास (मार्च-अप्रैल)
कामदा एकादशी
पापमोचनी एकादशी
2. वैशाख मास (अप्रैल-मई)
मोहिनी एकादशी
वरुथिनी एकादशी
3. ज्येष्ठ मास (मई-जून)
निर्जला एकादशी
अपरा एकादशी
4. आषाढ़ मास (जून-जुलाई)
योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी
5. श्रावण मास (जुलाई-अगस्त)
कामिका एकादशी
श्रावण पुत्रदा एकादशी
6. भाद्रपद मास (अगस्त-सितंबर)
अजा एकादशी
परिवर्तिनी एकादशी
7. आश्विन मास (सितंबर-अक्टूबर)
इंदिरा एकादशी
पापांकुशा एकादशी
8. कार्तिक मास (अक्टूबर-नवंबर)
रमा एकादशी
देवउठनी एकादशी
9. मार्गशीर्ष मास (नवंबर-दिसंबर)
उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी
10. पौष मास (दिसंबर-जनवरी)
सफला एकादशी
पुत्रदा एकादशी
11. माघ मास (जनवरी-फरवरी)
षट्तिला एकादशी
जया एकादशी
12. फाल्गुन मास (फरवरी-मार्च)
विजया एकादशी
आमलकी एकादशी
अधिकमास में:
पुरुषोत्तमी एकादशी
पद्मिनी एकादशी
एकादशी व्रत का पालन कैसे करें? Ekadashi vrat ka palan kaise karen
व्रत की तैयारी:
एकादशी के एक दिन पहले दशमी को सात्विक भोजन करें और मन को शांत रखें।
व्रत का पालन:
एकादशी के दिन सुबह स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
पूरे दिन उपवास करें। फलाहार लिया जा सकता है,
लेकिन अन्न और तामसिक भोजन निषेध है।
जागरण:
रात को भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें।
द्वादशी पर व्रत समाप्त करें:
द्वादशी के दिन व्रत खोलें और गरीब लोगों को भोजन कराकर दान दें।
एकादशी व्रत के फायदे: ekadashi Vrat Karne ka kya fayeda hota hai?
आध्यात्मिक लाभ:भगवान विष्णु की कृपा और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
स्वास्थ्य लाभ: उपवास शरीर को विषमुक्त करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
धार्मिक लाभ: पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत करने के नियम: Ekadashi vrat Kaise Kiya Jata hai
1. अन्न और तामसिक भोजन से बचें।
2. शुद्धता और सत्यता का पालन करें।
3. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
4. दान और गरीबों की सेवा करें।
5. झूठ बोलने से बचें।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: Vegyanik Drashtikorn |
एकादशी व्रत उपवास के कारण शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
चंद्रमा के प्रभाव से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
एकादशी व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है बल्कि
आत्मा को शुद्ध और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ मार्ग है।
इसे श्रद्धा और नियमों के साथ करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।