Utpanna Ekadashi 2024 Live date: 26 या 27 नवंबर कब रखा जाएगा उत्पन्ना एकादशी व्रत? कथा पूजा समय और महत्व।

उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली एकादशी है। इसे मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस एकादशी का संबंध भगवान विष्णु और उनकी शक्ति माँ एकादशी से है। यह दिन सभी प्रकार के पापों से मुक्ति पाने और मोक्ष की ओर अग्रसर होने का अवसर प्रदान करता है।

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Utpanna Ekadashi 2024 Live : इस दिन का रहस्य: क्या हुआ था?

धर्मग्रंथों में वर्णित है,उत्पन्ना एकादशी के दिन माँ एकादशी देवी का प्राकट्य हुआ था।

भगवान विष्णु ने अपनी दिव्य शक्ति से एक शक्ति की उत्पत्ति की। यही शक्ति एकादशी देवी कहलाती हैं।

एकादशी देवी ने मुर दैत्य नामक राक्षस का संहार किया और इस दिन को धार्मिक दृष्टि से पवित्र बना दिया। इस घटना के कारण इसे “उत्पन्ना” (उत्पत्ति) कहा जाता है।

कथा: उत्पन्ना एकादशी की पूरी कहानी

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पुराणों में एक कथा के अनुसार:

एक बार दैत्यराज मुर ने सभी देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।

देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने मुर को पराजित करने के लिए बद्रिकाश्रम में शरण ली और गहन ध्यान लगाया।

मुर दैत्य ने भगवान विष्णु को मारने का प्रयास किया।

उसी समय भगवान विष्णु के शरीर से एक अद्भुत तेजस्वी कन्या प्रकट हुई।

इस कन्या ने शक्तिशाली मुर राक्षस का वध कर दिया।

भगवान विष्णु ने इस शक्ति को आशीर्वाद दिया और कहा कि

“जो भी इस दिन तुम्हारी पूजा करेगा, वह पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करेगा।”

यही दिव्य शक्ति एकादशी देवी के रूप में पूजी जाती हैं।

Utpanna Ekadashi 2024 date: 26 या 27 नवंबर कब रखा जाएगा उत्पन्ना एकादशी व्रत?

वैदिक पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 26 नवंबर की रात 1 बजकर 1 मिनट पर होगी. वहीं, यह एकादशी तिथि 27 नवंबर की सुबह 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी.

उत्पन्ना एकादशी का पारण:

ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक, उत्पन्ना एकादशी व्रत 26 नवंबर 2024, मंगलवार को रखा जाएगा. उत्पन्ना एकादशी का पारण अगले दिन 27 नवंबर को किया जाएगा.

उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण टाइम (Utpanna ekadashi vrat parana time)

उत्पन्ना एकादशी का पारण समय 27 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से दोपहर 3 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.

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इस दिन के नियम और विधि:

व्रत की शुरुआत: दशमी तिथि की रात्रि से भोजन का त्याग कर ब्रह्मचर्य का पालन करें।

स्नान और पूजा: प्रातःकाल स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें। और पीपल या केले पर जल चढ़ाए।

व्रत कथा का पाठ: उत्पन्ना एकादशी की कथा सुनना या पढ़ना अनिवार्य माना जाता है।

जप और ध्यान: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। और पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें।

दान और धर्म: इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें। और कन्याओं को भोजन कराए।

उत्पन्ना एकादशी का फल:

उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को ब्रह्महत्या, और अन्य पापों से छुटकारा मिलता है। यह व्रत सात जन्मों तक पुण्य फल प्रदान करता है।

इस व्रत को करने वाला व्यक्ति विष्णु लोक में स्थान पाता है और सांसारिक जीवन के बंधनों से मुक्त हो जाता है।

उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु और माँ एकादशी की कृपा प्राप्त करने का पवित्र दिन है। यह दिन मोक्ष का मार्ग प्रदान करता है।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व:

उत्पन्ना एकादशी व्रत से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है।

यह दिन भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष के द्वार खोलता है।

यह व्रत व्यक्ति को आत्मिक शक्ति और शुद्धता प्रदान करता है।

क्या ना करें :

व्रत के दौरान आपको झूठ नहीं बोलना है ।

किसी की चुगली नहीं करनी है।

और जितना हो सके उतना कम से कम बोले।

क्या करना है:

सुबह से शाम तक बस मंत्र जाप चलते रहने देना है।

मन ही मन विष्णु जी ध्यान करते रहें।

और कम से कम 3 बार श्री हरि की पूजा करें

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