कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
त्रिपुरासुर के वध का दिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन था। त्रिपुरासुर के वध के बाद देवी- देवता बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान शिव की नगरी काशी में दीप दान कर खुशियां मनाई।
तभी से कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली कहा जाने लगा।

कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
कार्तिक पूर्णिमा पर किसकी पूजा होती है?
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही भगवान शिव की पूजा भी की जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा की विशेषता क्या है?
कार्तिक पूर्णिमा को कई खासियतों के लिए जाना जाता है:
- कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था.
- कार्तिक पूर्णिमा को देवी तुलसी का वैकुण्ठ में आगमन का दिन माना जाता है.
- कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु के रूप में मत्स्य अवतार का जन्म हुआ था.
- कार्तिक पूर्णिमा को राधिका जी की शुभ प्रतिमा का दर्शन और वंदन करके मनुष्य जन्म के बंधन से मुक्त हो जाता है.
- कार्तिक पूर्णिमा को महाकार्तिकी भी कहा जाता है.
- कार्तिक पूर्णिमा को सत्य नारायण स्वामी व्रत की कथा सुनने के लिए पवित्र दिन माना जाता है.
- कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान करना बहुत फलदाई है.
- कार्तिक पूर्णिमा को देवता दीपावली मनाते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा पर कितने दीये जलाएं?
कार्तिक पूर्णिमा पर 11, 21, 51 और 108 दीए जलाना शुभ होता है
कार्तिक पूर्णिमा को किसका जन्म हुआ था?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के रूप में मत्स्य अवतार का जन्म हुआ था, जो सृष्टि के विनाश और पुनर्सृजन की कथा से जुड़ा है। भगवान विष्णु के दस अवतारों में पहला अवतार मत्स्य अवतार माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने प्रलय काल में वेदों की रक्षा के लिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन मत्स्य रूप धारण किया था।
प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं। जब ADHIMASH व मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा व GANGA ISHNAAN के नाम से भी जाना जाता है।